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Showing posts from July, 2018

फ़ासले

यूं तो मुझे मालूम है कि फ़ासले है और रहेंगें, पर कभी ये फ़ासले तनहाइयों को इतना गहरा जाते है कि मन डूब सा जाता है । तुम कहो तो इन फ़ासलों को बांधकर एक पुल बना कर तुम्हारे पास आ जाऊ...