Saturday 31 March 2018

तमन्ना

नशा ये इश्क़ का यूं चढ़ा
बावरी सी फिरूं और चाहूँ
महफ़िल का जाम बन
तेरे लबों को छूना

सर्द हवा बन
बदन की खुशबू चुराना
लहू की बूंद बन
तेरे भीतर समाना

तू ही दुआ है और
तू ही आरजू
सोचती हूँ
ये जीवन तुझ पे वार दूं

तमन्ना है कि बस
मेरे हाथों में तेरा हाथ हो
और आखिरी सांस तक
तू ही मेरा अहसास हो।

                              -शालिनी पाण्डेय

Saturday 24 March 2018

मैं शायर

तुम्हारी ख़ामोश निगाहें 
क्या कोई इशारा है जिसे मैं समझ नही पाती

- शालिनी पाण्डेय

Saturday 17 March 2018

मैं शायर

न कुछ साथ आया था,
ना कुछ साथ जाएगा
खुल कर जियेगा तो शायद
कुछ निशा छोड़ जाएगा।

-शालिनी पाण्डेय

Monday 12 March 2018

मैं शायर

सुबह सुबह तेरी यादों की बरसात
मुझे तर कर जाती है
घंटों इसमें भीगने के बाद भी
ये दिनभर  मुझपर टपकती रहती है।

                 -शालिनी पाण्डेय

मैं शायर

हाय! तमन्नाओं का ये सैलाब
कहीं जां ना ले बैठे।

-शालिनी पाण्डेय

Together With You

I wanna........
laugh all my laughter
cry all my sorrows
celebrate all the feast
and all the starve
with you

I wanna .........
hold your hand for forever
rest on your shoulder
sit next to each other
listen to you non stop

I wanna ........
lay side by side
feel the warmth of yours
pour all my love onto you
attend you with all my consciousnesses

I wanna ......
hold you in my heart forever
sync my heartbeats with yours
connect my soul with yours
sing a song of love with you

-Shalini Pandey

Sunday 11 March 2018

मैं शायर

बहुत कुछ कहती है मेरी खामोशियाँ
तू होता पास तो शायद सुन लेता।

- शालिनी पाण्डेय

मेरे भीतर

अधरों को करीब लाकर
प्यासा छोड़ गए हो,
मन के आंगन में दस्तक दे
तन्हा छोड़ गए हो,
तुम अपना एक हिस्सा
मेरे भीतर घोल गए हो,
ये किस नारीत्व को
मेरे भीतर खोल गए हो ??

- शालिनी पाण्डेय

मैं शायर

रुक गई ये निगाहें तेरे दर पे आके,
आगे तेरी मर्जी साथ ले या लौटा दे।

-शालिनी पाण्डेय

शायद

कुछ ख्वाहिशें आज़ाद हो रही है
कुछ बंदिशे टूट सी रही है

एक कोंपल खिल रही है
वो ज़र्द पेड़ मुरझा सा रहा है

मीठा सा दर्द हो रहा है
कुछ घाव भर से रहे है

वो खालीपन सिमट रहा है
शायद प्यार का बीज पनप रहा है

-शालिनी पाण्डेय

Saturday 10 March 2018

मुलाकात

उस मुलाक़ात के बाद
थोड़ी मैं तेरे पास ही रह गयी
और मैं लौट आयी
थोड़ा तुझको लिए।

- शालिनी पाण्डेय

Tuesday 6 March 2018

यादों का गुलदस्ता

जा रही हूं मैं यादों का गुलदस्ता लिए,
लंबे इंतजार के बाद हुई मुलाकात लिए।

तुझे छू कर निकले वक़्त का स्पर्श लिए,
तेरे लबों पे आई दबी सी मुस्कान लिए,

तेरे साथ खामोशी में बिताये हुए पल लिए,
बीच के सन्नाटे को तोड़ती सर्द हवा लिए,

तेरे चेहरे पे दिखे भावों की छाप लिए,
कुछ अनकही बातों की गुंजाइश लिए,

तेरी साँसों से गर्माहट लिए,
तेरी धड़कन की सुगबुगाहट लिए,

तेरे दीदार से जन्मी हलचल लिए,
तेरी करीबी से बढ़ती तन्हाई लिए,

जा रही हूं मैं यादों का गुलदस्ता लिए।

-शालिनी पाण्डेय

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...