Monday 19 August 2019

उजड़ा सा पहाड़

टूटी शाखों पर
जब नई कोपलें निकल आती हैं

निर्बाध बहते झरने से
जब राही अपनी प्यास बुझाता है

जंगल के बीच वृक्ष की छांव में
जब थका हुआ चरवाहा सुस्ताता है

नदी की छोटी धार पर
जब कोई पत्थर का पुल बनाता है

वीरान त्याग दी गई राहों में
जब कोई अपना लौट आता है

विशाल बरगद की लटों से
जब कोई बच्चा झूला बनाता है

पत्थर के चूल्हे पर
जब कोई गीली लकड़ियां सुलगाता है

और बूढ़े देवालय में शाम को
जब कोई प्रकाश की लौ जलाता है

तो उजड़ा हुआ सा एक पहाड़
फिर से बस जाता है।

~ शालिनी पाण्डेय

Saturday 17 August 2019

बचपन के साथी

वो बेबाक बातों सी
कल्पना वाली दुनिया

जब कम थे पैसे
ज्यादा थी खुशियां

मासूमियत लिए
दिल होते थे जब पाक

वादों के बिना भी
बन जाता था विश्वास

नन्ही सी अपनी दुनिया
लगती थी तब काफी

क्योंकि तब पास होते थे
बचपन के सच्चे साथी

~ शालिनी पाण्डेय

Friday 2 August 2019

राख

हर रात को
राख की तरह
पूरी जल कर
सो जाती हूँ

सुबह उस राख
के बीचों बीच
एक अंकुर निकलता है
आने वाले दिन के लिए

जो रात तक
फिर से जल कर
राख हो जाता है।

~ शालिनी पाण्डेय

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...