Tuesday 25 July 2017

नन्ही खुशियां

कितना प्यारा एहसास है खुशी
खुशी खुद को बेहतर बनाने की
खुशी हरदिन कुछ सीखने की
खुशी आगे बढ़ने की
खुशी प्रयास रत रहने की
खुशी हार ना मानने की
खुशी बरसात में भीग जाने की

गहराई से देखो तो कितनी सारी खुशियां है हमारे आस पास। पर जिंदगी की ये अंधी दौड़ मानो कभी इन सब खुशियों पर पर्दा सा डाल देती है। जिसमें हमें अपनी मंजिल ना मालूम होते हुए भी आंखे मूंद भागे जा रहे है। कहा पहुचेंगे हम नही जानते। बस भागे जा रहे है कि कोई हमसे आगे ना निकल जाए। शायद मैं भी ऐसा ही कुछ कर रही थी। पर अचानक मेरा सिर किसी विशालकाय वस्तु से टकराया और मैं मूर्छित हो गई। जब होश आया तो पता चला कि अब तो बहुत से लोग मुझसे आगे निकल गए है, मैं तो बहुत पीछे रह गई। फिर क्या मैं बहुत रोई, चीखी और चिल्लाई।

पर कोई था ही नही जो मेरी सिसकियों को सुनता और मुझे अपने कंधे पर सिर रखकर रोने देता। ऐसा भी कोई नही था जो मुझे ढ़ाढस बढ़ाता । मैं क्या कर सकती थी। मैंने गुजरने वाले हर एक इंसान को आवाज लगाई और सबकी तरफ लालचाई निगाहों से देखा क्या पता कोई तो रहम दिल होगा। पर बाद में पता चला रहम दिल तो कोरी कल्पना थी मेरी। यहां तो लोग दिल वाले भी ना निकले। फिर क्या था, रही सदमे में कुछ महीनों तक। गुजारी बहुत रातें खुद से बाते करते हुए, खुद को समझते हुए। पूछे मैंने खुद से कई सवाल जिनका मेरे पास कोई जवाब नही था। वही कुछ ऐसे भी सवाल थे जिनके जवाब मुझे मिले। कुछ ऐसे पहलू जिनसे मैं अब तक अछूती थी वो भी समझ आये।

समझ आया कि मेरी जिंदगी की नींव तो मैं खुद ही हूं । कोई और भले ही इसपर इमारत बना सकता है पर उस इमारत की मजबूती तो मुझ से बनी नींव पर ही निर्भर करेगी ना। फिर समझ आया कि जीवन की अच्छी दसा और दिशा के लिए सबसे जरूरी है नींव जो मुझसे बनी है। बाकी सारे लोग तो इस नींव पर बनी इमारत को देखने वालों की तरह है जो कुछ देर रहते है, थोड़ी तारीफ़ करते है, थोड़ी बुराई और फिर अपना उद्देश्य पूर्ण हो जाने पर अगली इमारत की ओर चले जाते है।

अब मुझे समझ आ रहा था कि जीवन में स्वार्थी बनकर जीना बहुत जरूरी है। स्वार्थी से मेरा तात्पर्य है अपनी इच्छाओं, अपने उद्देश्य, अपनी सोच, अपने आदर्शों, अपने लक्ष्यों के हिसाब से जीवन जीने से है। हमारे जीवन में ये ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। जो कार्य अच्छा लगता है वो करो। जो तुम्हारी रुचियां है उन्हें निखारो। जो तुम्हारे कमजोरियां है उन्हें सुधारों। बस अपने को निखारने में इतने खो जाओ कि ध्यान ही नही रहे कि पास वाली इमारत पर ध्यान ही न जाये। फिर जो भी हम करते है उसमें हमें बहुत सारी खुशियां मिलती जाती है। जो हमारे जीवन को आसान और रोचक बनाने में सहायी है।

-शालिनी पाण्डेय

Monday 17 July 2017

ठहरा हुआ सा मन

चली हूँ आज एक सफर पर
जो बना है टेढ़े रास्तों से
कल कल करती नदियों से
झर झर झरते झरनों से
सर सर करती पवन से
हरी हरी हरियाली से
बूंद बूंद बरसते बादलों से

बहुत से पड़ाव आये इस सफर में
हर एक पड़ाव दूसरे से अलग था
पर अपने में सम्पूर्ण लगा 
हर पड़ाव पर मैं कुछ देर ठहरी
इधर उधर देखा, महसूस किया
और जो बच गया उसे यादों में संजो लिया

अलग ही रोमांच था पूरे सफर में
न केवल मंजिल
पर रास्ते भी मन को लुभा रहे थे
ना आगे का डर सताता
ना पीछे की चिंताएं जला रही थी
और मन मानो ठहर सा गया था
केवल गुजरते पलों पर ।।

-शालिनी पाण्डेय

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...