Friday 29 March 2019

गीत जैसे

गीत जैसे
गुनगुनाते हो तुम
मेरे भीतर
और घोल जाते हो
ख़ुद को मुझ में।

- शालिनी पाण्डेय

Tuesday 26 March 2019

भोर की बेला

भोर की बेला
ले आती है
तुम्हारे रात के आंसूं
मेरे गालों पर
ओस की बूंदों जैसे

-शालिनी पाण्डेय

ढलता सा दिन

ढलता सा दिन
ले आता है
दूर उड़ते पंछी को
घरौंदे के पास
प्रियतम के साथ

- शालिनी पाण्डेय

Thursday 21 March 2019

तज़ुर्बा

मुझे तज़ुर्बा था
जीवन को
बेफ़िक्री से
जीने का

और तुम्हें
तज़ुर्बा था
सोच सोच के
जीने का

दोनों अलग
है मगर है तो
तज़ुर्बे ही। ।

-शालिनी पाण्डेय

कविता की तरह

तुम मेरे जीवन
में आये
कविता की तरह
वही कविता
जो मेरी पसंदीदा थी

शायद इसीलिए
तुम्हें संजो के रख पाना भी
उतना ही मुश्किल था
जितना उस कविता के अर्थ
को यथार्थ पर उतार पाना।

-शालिनी पाण्डेय

होली स्पेशल

आज जब आस पास
के लोग गुलाल से
चेहरे को रंग रहे थे

मैं रंग रही थी
अपनी रूह को
तुम्हारे इश्क़ से।

-शालिनी पाण्डेय

Saturday 9 March 2019

निराशा

पाने और खोने के
इस खेल में
जब निराशा
हाथ आती है
आंखें मूंद कर
मैं तुम्हारा
चित्र बनाती हूं

और तुम्हारे
इस स्पर्श से
एक लौ जलती है
जो मुझे
अगली निराशा तक
आशा का
ताप दिये रहती है।

- शालिनी पाण्डेय

Tuesday 5 March 2019

कुहासा

सर्द मौसम में
जब कुहासे ने
ढक लिया
तो मैंने
प्यार की लौ
जलाई
और झोंक दिए
उसमें अपने
सारे सपने
एक-एक करके।

- शालिनी पाण्डेय

Saturday 2 March 2019

चेहरे

आदमियों से
ठसाठस भरी
शहरी दुनिया
हर दिन
नए चेहरे
और
मेरे पहाड़ में
रह गयी हैं
सिर्फ आँखें
बूढ़ी, जर्जर आँखें
जो इंतज़ार में है
पुराने चेहरों के
लौट आने के।

-शालिनी पाण्डेय

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...