आज जब आस पास
के लोग गुलाल से
चेहरे को रंग रहे थे
मैं रंग रही थी
अपनी रूह को
तुम्हारे इश्क़ से।
-शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
No comments:
Post a Comment