Tuesday 23 June 2020

रामवती

बादल घिर आये है, सामने की तरफ आसमान का रंग स्याह हो गया है। तेज हवा ने सारे बादलों को आसमान में एक तरफ इकठ्ठा कर दिया है। मन ही मन में सोच रही थी आज बहुत बारिश आएगी। मैं छत पर खड़ी बादलों की ओर देख रही थी,कि तभी एक आवाज़ आयी - बारिश आयेगी और मेरी छत उड़ जायेगी। मैंने नीचे की ओर देखा तो रामवती थी। वो एक बड़े से पत्थर के ऊपर कपड़ों पर साबुन लगा रही थी। .
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रामवती और मैं एक दूसरे को तीन महीनों से जानते है। 'जानते है' ये कहना ठीक नही होगा; बल्कि ये कहना- 'तीन महीनों से हम एक दूसरे को यूँ ही देखा करते है' ज्यादा ठीक होगा। आज तक किसी ने दूसरे से एक लफ्ज़ भी नही कहा। मैं जब भी छत पर टहलती हूँ, वो नीचे कुछ काम कर रही होती है और नजरें मिल जाने पर दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते है। बस इतना ही संवाद है हम दोनों के बीच।  रामवती की उम्र यही कोई 25-26 साल होगी या फिर इससे भी कम। उसके 2 बच्चे है, जिनके साथ वो कंस्ट्रक्शन की साइट पर बने ईट के बने कामचलाऊ घर में रहती है जिसकी छत पर एक प्लास्टिक की पन्नी लगी है। .
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रामवती के लफ़्ज़ों को सुनने के बाद मैं सोच रही थी कि काश! इतनी ही बारिश आये जिसमें उसकी छत ना उड़े। ये सोचते-सोचते, मैं अपने कमरे की भीतर आ गयी, क्योंकि अब छत पर टहलना उतना सुखद नहीं रहा। अब बरसात आने की खुशी में रामवती के छत उड़ जाने की टीस भी शामिल हो गयी थी।

- शालिनी पाण्डेय

Sunday 21 June 2020

साथ में जिये लम्हें

साथ में जिये लम्हें
भीतर के किसी कोने में
थोड़ी जगह घेरे रहते है
और
शुष्क मौसम से
ऊब चुकी साँसों को 
हवा देकर जिंदा रखते है....

- शालिनी पाण्डेय 

Friday 5 June 2020

रोज कुछ

रोज कुछ उम्मीदें बिखर जाती है
कुछ सपने अधूरे रह जाते है
और कुछ वादे दहलीज की ओर
टकटकी लगाए दम तोड़ जाते है।

- शालिनी पाण्डेय 

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...