Saturday 14 April 2018

रात का सन्नाटा

वो सच्चा अटपटा सा
ज़िद्दी स्वभाव वाला
कुछ ऐब रखने वाला मानुष
जिसकी चुप्पी में मुझे
महसूस होती है गहराई
ना जाने क्यूं मन को भा गया

छलावे की संसार से दूर
विचारों की दुनिया में मगन
खयालों की नगरी में उलझा सा
लगता है मानो तलाश रहा है
किसी खोए कीमती हिस्से को

मुझे डर था हमेशा
किसी के इतने करीब आने का

बेशक दिन का शोर घुला लेता है
करीबी रिश्ते की इस आहट को
लेकिन रात का सन्नाटा फिर मुझे
इसी रिश्ते की गहराई में ले गया।

-शालिनी पाण्डेय

Thursday 12 April 2018

वो यही कही है पास में

सूरज की गुनगुनी धूप में
पहाड़ों पे ढ़लती सांझ में
सूखे पत्तों की सरसराहट में
आंगन में बहती बयार में
वो यही कही है पास में

सुबह अध खुली आँखों में
दिनभर की भागा दौड़ी में
शाम की सुस्ती में
घनी रात की तन्हाई में
वो यही कही है पास में

जागते हुए होश में
नींद के आगोश में
सपनों की मदहोशी में
वक़्त के इंतज़ार में
वो यही कही है पास में

मेज पर पड़ी डायरी में
कलम की लाल श्याही में
पेज पर उकेरे चित्रों में
लिखी हुई कविताओं में
वो यही कही है पास में।

-शालिनी पाण्डेय

Monday 9 April 2018

बवंडर

राहें मोहब्बत की
वो संकरी गली
जो भरी थी
भावों के सैलाब से

इस सैलाब में धीरे से
मैंने कस्ती उतारी
सोचा उसे साथ लेकर
बाहर निकल आऊंगी

पर मुझे कहा खबर थी
कस्ती को बहाने वाले
उस बवंडर की
जो हमारे इंतज़ार में था।

-शालिनी पाण्डेय



Wednesday 4 April 2018

यादों की सलवटें

हर रात में अपने दिल की चादर बिछाती हूं
जिसपे तू सुबह यादों की सलवटें छोड़ जाता है।

शायद मेरी आँख लगने के बाद
चुपके से तू आया होगा
पास आकर बैठा देर तक
मुझे निहारता रहा होगा

शायद आंखों के इशारों से
कुछ बातें भी कही होंगी
और लबों की खामोशी से
प्यार का गीत भी गुनगुनाया होगा

शायद मेरे सिरहाने पर
तूने अपना सर टिकाया होगा
और जगह बनाने के लिए थोड़ा
मुझे छूकर हिलाया भी होगा

पर मैं बावरी तेरी यादों को ओढ़कर ऐसी सोयी होंगी
कि इतने करीब होने पर भी पास ना रुकाया होगा।

-शालिनी पाण्डेय

Tuesday 3 April 2018

मैं शायर

सुबह हुई और हमनें तुम्हें याद किया
सिर झुका तो इबादत के लिए पर तुम्हें सलाम किया
                        -शालिनी पाण्डेय

मेरे करीबी


तेरी आवाज के लिए
घंटों इंतजार करना
उठते ही तेरी खैरियत
की दुआ करना

तेरी खुशियों पर
खुश हो जाना
तेरे गमों से
दुखी हो जाना

तेरी सफलता पर
जश्न मनाना
तेरी असफलता में
साथ निभाना

तेरी झलक दिखने पर
खुश होना
तेरे मुस्कुराने पर
खुशी से पागल हो जाना

तेरी बातों को
सुनते जाना
तेरी चुप्पी को
महसूस करना

तेरी तस्वीर देखते देखते
सो जाना
तेरी यादों में
डूब जाना

तेरे बिना जी रही हूं
फ़िर भी तू ही साथ है
इतना दूर होकर भी
कितना करीब है

कितना कुछ है
तेरे बारे में सोचने को
ये इतना सारा है कि
जिंदगी भर जी सकती हूं।

- शालिनी पाण्डेय

Monday 2 April 2018

इश्क़

ना जानें क्यूं इश्क़ हमें देर से हुआ
लेकिन जब हुआ तो बेहिसाब हुआ
और तुम्ही से ना जाने क्यों हुआ
तुम्हारी इश्क़ करने की उम्र ना रही तो क्या करे
अब उम्र पर तो कम्बख्त हमारा जोर ना हुआ।

- शालिनी पाण्डेय

Sunday 1 April 2018

छुट्टी का दिन

छुट्टी का दिन भी बेहतरीन होता है
तू फुर्सत में बेहद करीब होता है

तेरी बातें, मुलाकातें
बहुत याद आती है
प्यार भरी इन यादों से
तन्हाई और गहराती है

यूं ही बैठे बैठे
ख्यालों की दुनिया बन जाती है
जहाँ लंबा इंतजार खत्म होकर
हमें एक कर जाता है

यहाँ तू ही मैं है और मैं ही तू
फसलों की दीवार गिर सी जाती है
और जिंदगी अब हम पर
प्यार ही प्यार बरसाती है

                       -शालिनी पाण्डेय

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...