वो सच्चा अटपटा सा
ज़िद्दी स्वभाव वाला
कुछ ऐब रखने वाला मानुष
जिसकी चुप्पी में मुझे
महसूस होती है गहराई
ना जाने क्यूं मन को भा गया
छलावे की संसार से दूर
विचारों की दुनिया में मगन
खयालों की नगरी में उलझा सा
लगता है मानो तलाश रहा है
किसी खोए कीमती हिस्से को
मुझे डर था हमेशा
किसी के इतने करीब आने का
बेशक दिन का शोर घुला लेता है
करीबी रिश्ते की इस आहट को
लेकिन रात का सन्नाटा फिर मुझे
इसी रिश्ते की गहराई में ले गया।
-शालिनी पाण्डेय