Saturday 14 April 2018

रात का सन्नाटा

वो सच्चा अटपटा सा
ज़िद्दी स्वभाव वाला
कुछ ऐब रखने वाला मानुष
जिसकी चुप्पी में मुझे
महसूस होती है गहराई
ना जाने क्यूं मन को भा गया

छलावे की संसार से दूर
विचारों की दुनिया में मगन
खयालों की नगरी में उलझा सा
लगता है मानो तलाश रहा है
किसी खोए कीमती हिस्से को

मुझे डर था हमेशा
किसी के इतने करीब आने का

बेशक दिन का शोर घुला लेता है
करीबी रिश्ते की इस आहट को
लेकिन रात का सन्नाटा फिर मुझे
इसी रिश्ते की गहराई में ले गया।

-शालिनी पाण्डेय

No comments:

Post a Comment

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...