Monday 31 December 2018

नया साल

जिसे तुम कहते हो
नया साल
मुझे तो उसमें कुछ
ऐसा नहीं दिखता
जिसके लिए मैं
जश्न मनाऊँ

ये सुबह भी
बीती सुबहों जैसी
अकेली ही थी
चाय की चुस्कियां लेते
वक़्त आज भी सिर्फ
यादें ही साथ थी

फर्क था तो इतना
कि मेरे सिर पर
सफेद बालों की तादात बढ़ गयी थी
चेहरे पर दो चार झुर्रियां
और निकल आयी थी

और मैं
कुछ खोजते खोजते
एक पल शून्य में समा
कर फिर लौट आयी
इस नितांत अकेली
थकी दुनिया में
जहाँ नए साल का जश्न
अब भी मनाया जा रहा था।

-- शालिनी पाण्डेय

Wednesday 19 December 2018

किरदार

ना सिग्नल थे
ना सोशल मीडिया
ना दोस्तों का हुजूम
ना ही पहचाना शहर

बस तुम थे और
जीवन का सफर

तुम तुम जैसे थे
मैं मैं जैसी
ना कोई वादे थे
ना कोई बंदिशें

बस दो किरदार थे
अपने आप को
खुद ही लिखते से।

--शालिनी पाण्डेय

Wednesday 5 December 2018

जिंदगी

लंबे सफर में
जब मीलों तक
कोई आस पास
नहीं दिखता

लोगों से भरे
हुए सड़क पर
जब शोर नहीं
सुनाई देता

सिर्फ तभी मुझे कितनी
साफ नजर आती
हो तुम जिंदगी।

-- शालिनी पाण्डेय

Sunday 2 December 2018

सर्दी के एक रोज

सर्दी के एक रोज
मैं ताप रही थी
एक रिश्ते की गर्माहट को
आंखे मूंदे
थाप रही थी
साथ वाली तस्वीर को 

आती सांस के साथ
पाट रही थी
बीच के फैसलों को
और लकीरों पर
सजा रही थी
तुम्हारे नाम की हिना को।

अजीब बात है ना ?
ना मैंने इजाज़त मांगी
ना तुमने कुछ कहा
बिना तुमसे पूछे ही
खुद में जोड़ती जाती हूं तुमको।

-शालिनी पाण्डेय

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...