Tuesday 31 March 2020

ऊब

एक दिन उसने
झील किनारे
खड़े बूढ़े पेड़
से पूछा-

हर मौसम में
एक ही जगह 
खड़े खड़े 
तुम ऊब नहीं जाते?

पेड़ ठहाका मार कर हँसा
और बोला-
ऊबते इंसान है
कभी रिश्तों से,
कभी जगहों से,
कभी काम से,
कभी जीवन से,

मैं तो एक पेड़ हूं
मेरे पास 
ऊबने का समय ही कहाँ है!!
मैं तो निरन्तर 
तुम्हारे लिए छावं,
भोजन, लकड़ी 
और साँसें जुटाने में लगा हुआ हूँ।

- शालिनी पाण्डेय 

Sunday 22 March 2020

आपदा

आपदा का सन्नाटा 
गुज़रने के बाद
कुछ लोग
अपनी जान
गवां चुके होते है,
कुछ अपने करीबियों
को खो चुके होते है,
और 
कुछ शेष रह जाते है
अगली आपदा के
साक्षी बनने के लिए...

- शालिनी पाण्डेय 


Tuesday 17 March 2020

स्वतः

सर्दी की धूप,
चाय की प्याली,
पतझड़ के पत्ते,
तारों वाली रात,
टपकती बरसात
और तुम्हें देखने पर
कविताएं स्वतः फूट
पड़ती है स्याहियों से।

- शालिनी पाण्डेय


Sunday 15 March 2020

सांझ

सांझ जैसे
जोड़ती है
उजाले को अंधेरे से
वैसे ही
आस 
जोड़े हुए है
एक जीवन को
दूसरे से....

- शालिनी पाण्डेय

तुम्हारे बगैर

यूँ तो
लफ़्ज़ों में बया
करना मुश्किल है,
लेकिन अगर दुनिया
ख़त्म हो रही हो तो 
मैं 
तुमसे बस इतना
कहना चाहूंगी
कि 
तुम्हारे बगैर
सभी कविताएं
सभी गीत व्यर्थ है।

- शालिनी पाण्डेय

Saturday 14 March 2020

पहाड़ से दूर

पहाड़ से दूर,
रेत के टीले पर,
अपने बिस्तर में
सर रखते ही,
मैं पहाड़ को साफ
देख पाती  हूँ.. . . 

मैं देखती हूँ
अपने पुरखों के
खपड़ैल वाले घर को,
जिसकी छत
इस बरसात गिर गई, 
गोठ में बँँधी
भूरी गाय को,
जिसके बछड़े को
बाघ ले गया ,

पिनालू के पत्तों पर
जमा ओस में
देखती हूँ बिंब
पिताजी के बचपन का,
जिसमें वो
आँगन के तीर में
नीचे गिरे अखरोट
अपनी जेब में भर रहे है.... 

नौले से पानी लाने वाले 
कच्चे रास्ते के 
छोर पर उगे 
सिननें की पत्तियों के
बीच की खाली जगह से
देखती हूँ
अपनी आमा को
उनकी बूटे वाली
पीली साड़ी में।

और मैं देख पाती हूँ
भाभर से पहाड़
जाने वाले रास्ते
और अपने बीच के
फासलों को जिन्हें
मैं इस जीवन
पाट नहीं पाई
और ना ही
जा सकी लौटकर
परिवार के पास ।

- शालिनी पाण्डेय



Thursday 12 March 2020

बैठकी होली

सर्द मौसम में
गुनगुनाहट भरती
होल्यारों की बैठकी
जो हारमोनियम, तबले पर 
लय साधते गाती है 
पीड़ी दर पीढ़ी
आत्मसात किये 
होली के गीत....

ये संजोए हुए है
वर्षों से पुरानी परंपरा को,
जिसकी नींव डाली
रामपुर के उस्ताद अमानुल्लाह 
और आगे बढ़ाया
गणिका रामप्यारी ने...

आगमन पर बसंत के
होल्यार गाते
राधा कृष्ण की होली,
शिवरात्रि के बाद
गायी जाती शंभु की होली,
और आखिरी दिनों में 
गायी जाती 
रंगों की होली...

होली के ये गीत 
गूँथे रहते है 
अवधी, बृज, मगधी, 
भोजपुरी के शब्द
स्थानीय लोगों की 
संस्कृति के साथ...
सूर, मीरा, कबीर से लेकर
भक्ति, प्रेम 
और प्रकृति का 
वर्णन करते हुए, 
राग धमार से शुरू और 
राग भैरवी पर 
समापन होती है 
कुमाऊं की बैठकी होली ।

- शालिनी पाण्डेय 

Tuesday 10 March 2020

I became yours

It was a noon 
In the March
When things
Started to 
Grew stronger

Sailing on a boat
on the waves
First time
I imagined 
Sailing my 
Life boat 
Together with you 

On touching upon
By cold breeze
When I tightly holded 
yours hand 
I felt the
Warmth of you 

Some kind of 
Energies 
Tied my heart 
With yours 
At that very moments
My soul
Became yours..

- Shalini Pandey



Sunday 8 March 2020

O Woman


O woman!!
From your birth
You have been kind,
You works hard,
You love unconditionally,
You make sacrifices, 

But .....
When you grow
Acquire life skills,
Get good education,
Learn to be brave,
Overcome your fears,
Chase your dreams
and
Allow yourself to blossom,
not to compete a man
but to be a WOMAN.

HAPPY WOMEN'S  DAY 2020

-Shalini Pandey

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...