Tuesday 17 March 2020

स्वतः

सर्दी की धूप,
चाय की प्याली,
पतझड़ के पत्ते,
तारों वाली रात,
टपकती बरसात
और तुम्हें देखने पर
कविताएं स्वतः फूट
पड़ती है स्याहियों से।

- शालिनी पाण्डेय


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