चाय की प्याली,
पतझड़ के पत्ते,
तारों वाली रात,
टपकती बरसात
और तुम्हें देखने पर
कविताएं स्वतः फूट
पड़ती है स्याहियों से।
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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