आज जब मैं
सफर पे निकली
मैंने ध्यान से देखा
हर मुसाफिर के
सामान की गठरी को
जो अलग-अलग रंग
रूप और आकार की थी
मुझे तब महसूस हुआ
कि
इस सामान की
अलग-अलग
गठरियों जैसे ही है
सबके अपने-अपने सच
जिसके भार को इन्सान
कही ढोता और
कही बिसाता सा
चला जाता है
जीवन की यात्रा में।
- शालिनी पाण्डेय