Monday 29 April 2019

जीवन यात्रा

आज जब मैं
सफर पे निकली
मैंने ध्यान से देखा
हर मुसाफिर के
सामान की गठरी को
जो अलग-अलग रंग
रूप और आकार की थी

मुझे तब महसूस हुआ
कि
इस सामान की
अलग-अलग
गठरियों जैसे ही है
सबके अपने-अपने सच
जिसके भार को इन्सान
कही ढोता और
कही बिसाता सा 
चला जाता है
जीवन की यात्रा में।

- शालिनी पाण्डेय

Sunday 28 April 2019

तुम कितना कम कहते हो

मुझे देखो, मैं कितना ज़्यादा बोलती हूं
और तुम हो कि इतना थोड़ा कहते हो

कभी कभी तो इतना कम तुम कह पाते हो
कि यूँ लगता है कि
एक अरसा बीत गया है तुम्हें कुछ कहे हुए

तुम बहुत सोच के कहते हो
इसीलिए ज्यादा वक़्त में इतना कम कहते हो

तुम्हारे कुछ ना कहने से कह पाने के बीच के सफर में
जो इंतज़ार होता है
मेरे लिए बड़ा मुश्किल सा होता है

तब मेरा जी चाहता है
कि तुम कुछ तो कहो
बहुत थोड़ा ही सही
बिना उसकी जांच किये बगैर ही

लेकिन फिर भी तुम नहीं कहते

पता नहीं तुम कहने की कला कब सीखेगो ?
सीखोगें भी या नहीं ?
या फिर मैं ही वक़्त के साथ
तुम्हारे भावों को पढ़ना सीख लूंगी।

- शालिनी पाण्डेय

Wednesday 24 April 2019

तुमसे जुदा होने पर

तुमसे जुदा होने पर
मैं अक़्सर बातें करती हूं
अपनी परछाई से

हमारे बारे में
तुम्हारे बारे में

- शालिनी पाण्डेय

Monday 22 April 2019

हॉस्पिटल की दीवारें

हॉस्पिटल की दीवारें
आदी हो जाती है
मरीजों के आह भरने की,
चीखें सुनकर भी
इनकी आँख नहीं भर आती,
इनके लिए
मरीज और उनका दर्द
रोज की बात है,
ये बस देखती रहती है
हर गुज़रने वाले मरीज को
और कुछ नहीं बोलती। 

लेकिन ध्यान से देखो
इनकी सूरत को
तो
पता चलता है
कि सबके दर्द को
सोख लेने की वजह से 
इनका लहू और मन
दोनों काले पढ़ गए हैं
और अब ये अपने लिए भी
कराह पाने में खुद को
असमर्थ पाती है।

- शालिनी पाण्डेय

अधूरापन

अधूरे से ये रिश्ते
जिनमें ढूढ़ता है
व्यक्ति पूरापन

क्या गंतव्य तक पहुचेंगे
या तोड़ देंगे दम
इस अधूरेपन में ही।

- शालिनी पाण्डेय

हवा का झोंका


हवा का एक झोंका
डाली से जो टकराया
तो जमीन पे गिरे
सूखे हुए पत्ते पेड़ से

ऐसे ही

यादों का झोंका
जब टकराता है मुझसे
तो गिरती है भारी हो चुकी
सांसें मेरे चित्त से।

-शालिनी पाण्डेय

तुम आओगे

तुम आओगे
किसी रोज
सच में
वैसे ही
जैसे ख्वाबों
में आते हो।

कुछ रोज
मैं सिर्फ
तुम्हारे साथ में
जीना चाहती हूं
और
बाँटना चाहती हूं
मेरे कुछ हिस्से को
तुम से उसी रोज

- शालिनी पाण्डेय

Thursday 18 April 2019

तुम

लबों तक ना लायी जा सके
वो बात हो तुम
जीने की लिए बेहद जरूरी
साज़ हो तुम

अकेले में घेर लेने वाली
बैचैनी हो तुम
करीबी से पनपता हुआ
गहरा दर्द हो तुम

अब तक का सबसे हसीन
अहसास हो तुम
इसलिए
बेहद खास हो तुम ।

-शालिनी पाण्डेय

Tuesday 16 April 2019

घिर आये मेघा

आज देखो
कई दिनों बाद
घिर आये है मेघा

घुमड़ रहे है
गरज रहे है
बरस रहे है मेघा

इन्हीं मेघों के जैसे
घुमड़ता है मेरा प्यार
तुम घर से निकलो
तो ये भी जरा बरस ले।

-शालिनी पाण्डेय

Saturday 13 April 2019

रात का ढक्कन


जब रात का ढक्कन खुला
तेरी यादें भाप सी उठकर
मिल गई कमरे की हवा से
और साँसों के साथ
सारा दिन टहलती रही
मेरे बाहर-भीतर ।

- शालिनी पाण्डेय

Wednesday 10 April 2019

I am a woman

Yes I am a woman

But I don't want chains
Neither in my hands
in my neck
In my feet
In the name of custom

Let me remain in my
Original form
Without wrapping me
In golden or silver gift wraps...

I am more beautiful
In my genuine version
Once you will open up
Your eyes and heart

- Shalini Panday 

मैंने कहा था

देखा मैंने कहा था
कि तुम नहीं आओगे।

सही कहा था ना?

अब जब तुम कहीं गए ही नहीं 
तो आते कैसे?

- शालिनी पाण्डेय

तुम्हारे साथ

तुम्हारे साथ गुज़ारे गए
खामोशी के चंद लम्हें
ना जाने क्यूं

दुनिया जहान की आवाज
में बिताये सैकड़ों लम्हों से

कई गुना खूबसूरत और
समझ देने वाले है।

- शालिनी पाण्डेय

Saturday 6 April 2019

नए साल पर

नये साल पे तुम्हें क्या दुआ दूँ ?
तुम तो खुद ही दुआ हो मेरे लिए।

- शालिनी पाण्डेय

Wednesday 3 April 2019

तुम ना आये


गहराने लगे है अब तो साये
मार्च बीता पर तुम ना आये

-- शालिनी पाण्डेय

Monday 1 April 2019

एक रिश्ता

एक रिश्ता
लंबे संवाद का
गहरे अहसास का
द्वंदों को उजागर करने का
विचारों पर बहस करने का

एक रिश्ता
ग़ज़लों को सुनने का
साहित्य को समझने का
गीतों को गुनगुनाने का
सांझ में याद आने का

एक रिश्ता
एक टक देखने का
ख्यालों में खो जाने का
फ़ुरसत में इंतज़ार करने का
खामोशी को पहचानने का

कुछ ऐसा ही है ना
रिश्ता तेरे और मेरे प्यार का

- शालिनी पाण्डेय

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...