Saturday 13 April 2019

रात का ढक्कन


जब रात का ढक्कन खुला
तेरी यादें भाप सी उठकर
मिल गई कमरे की हवा से
और साँसों के साथ
सारा दिन टहलती रही
मेरे बाहर-भीतर ।

- शालिनी पाण्डेय

No comments:

Post a Comment

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...