जब रात का ढक्कन खुला
तेरी यादें भाप सी उठकर
मिल गई कमरे की हवा से
और साँसों के साथ
सारा दिन टहलती रही
मेरे बाहर-भीतर ।
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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