Monday 16 November 2020

जवान होने के सफर में

जवान होने के सफर में
लड़कियां स्वीकार कर लेती है
निर्धारित की गई अपनी नियति,

वो सीख लेती है 
अपने सपनों को उधेड़ 
किसी और के दरवाजे के लिए 
क्रोशिया सीना;

और निकल पड़ती हैं
कभी ना खत्म होने वाली
आदर्श स्त्री बन पाने की दौड़ में...

- शालिनी पाण्डेय 

विस्थापित

घर की वस्तुओं को 
बदला जा सकता हैं , 
चीज़ों को विस्थापित 
किया जा सकता हैं,

लेकिन,
नहीं बदला जा सकता है 
तुम्हारे लिए मेरे प्रेम को;
ना ही विस्थापित 
किया जा सकता है
तुम्हें किसी और प्रेमी से।

- शालिनी पाण्डेय

Sunday 15 November 2020

साधना


तुम्हारी प्रेमिका हो जाने में
न केवल जुड़ी हुई हैं
संवेदनाएं और भावनाएं;
बल्कि,
इस प्रेम के साथ
जुड़ी हुई है, साधना
परम सत्य को खोजने की...

- शालिनी पाण्डेय 

Saturday 14 November 2020

तुम्हारी यादें

तुम्हारी यादें 
मेरे घर की 
सभी चीजों को घेरे हुए है,
चाहे वो चाय की प्याली हो
या मेज पर पड़ी किताब

मेरे घर की बालकॉनी, 
रोशनदान, छत, दीवार,
खिड़की, दरवाज़े
सब तुम्हारी यादों से पटे हुए है

काश! इन यादों जैसे
तुम भी होते मौजूद 
इस घर के किसी हिस्से में...

- शालिनी पाण्डेय

Friday 13 November 2020

माँ

यूँ तो अब मुझे
आदत सी हो चली है
अकेलेपन और 
नीरस दिनचर्या की,

शहर की इस 
नीरस दिनचर्या में उलझे हुए
वक़्त आसानी से गुज़र जाता है

लेकिन, 
जब कभी हो 
कोई खास दिन 
जैसे कोई त्योहार या जन्मदिन
तब, तुम मुझे 
बहुत याद आती हो माँ।

- शालिनी पाण्डेय 

Sunday 8 November 2020

मिलना

जीवन की 
उबड़-खाबड़ राह के 
एक मोड़ पर 
किसी रोज तुम मिले 

मिलना यूँ तो एक 
क्रिया है 
पर तुम्हारा मिलना 
एक एहसास है 

वो एहसास जो 
बाधें रखता है 
प्राणों को शरीर से 

ठीक वैसे ही जैसे 
डोरें बाधें रहती हैं 
नाव को छोर से 
खाली वक़्त में 

- शालिनी पाण्डेय 

Saturday 7 November 2020

चरवाहे

एक रोज 
मैं चली आऊँगी
तुम्हारे पास,
ठीक वैसे ही 
जैसे 
लौट आते है चरवाहे 
शिशिर के बाद
अपने-अपने घरों को...

-शालिनी पाण्डेय

Friday 6 November 2020

तुम्हारे लिए

बनाई जा चुकी है 
सुंदर तस्वीरें
लिखे जा चुके है 
सुंदर गीत,

लेकिन फिर भी
मैं रचना चाहूँगी 
कुछ कविताएं, 
खींचना चाहूँगी
कुछ तस्वीरें
सिर्फ तुम्हारे लिए...

- शालिनी पाण्डेय

Thursday 5 November 2020

नए प्रतिमान

प्रेम के नए प्रतिमान गढ़ने 
की मुझे कोई इच्छा नहीं,

मैं नहीं बनना चाहती
एक आदर्श प्रेमिका
और ना ही चाहती हूँ 
निष्कलंक जीवन,

मैं बस 
जी लेना चाहती हूं
दुःख और आनंद के उन लम्हों को 
जो हर मुलाक़ात के साथ
तुम छोड़ जाते हो..

-शालिनी पाण्डेय

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...