प्रेम के नए प्रतिमान गढ़ने
की मुझे कोई इच्छा नहीं,
एक आदर्श प्रेमिका
और ना ही चाहती हूँ
निष्कलंक जीवन,
मैं बस
जी लेना चाहती हूं
दुःख और आनंद के उन लम्हों को
जो हर मुलाक़ात के साथ
तुम छोड़ जाते हो..
-शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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