आदत सी हो चली है
अकेलेपन और
नीरस दिनचर्या की,
शहर की इस
नीरस दिनचर्या में उलझे हुए
वक़्त आसानी से गुज़र जाता है
लेकिन,
जब कभी हो
कोई खास दिन
जैसे कोई त्योहार या जन्मदिन
तब, तुम मुझे
बहुत याद आती हो माँ।
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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