Saturday 23 November 2019

आगमन

आगमन, जीवन किरणों का..
प्रस्फुटन, नव पल्लवों का..
सृजन, नव कथाओं का..
उद्भव, श्वेत झरनों का..
विस्तार,  अंतर संवादों का..
आदान-प्रदान,भावनाओं का..
महकना, रजनीगंधा का..
सब परिणाम है, तुम्हारे प्रेम में होने का..

-  शालिनी पाण्डेय 

Monday 18 November 2019

सरु चलो ना

किराये के
मकान की
बालकनी से,
बाहर झांकते हुए,
एक दिन,
उसने पूछा -

सरु,
कौन सा संगीत,
सुनाई देता है,
तुम्हें यहां ?
कौन सा नजारा,
दिखता है,
किवाड़ों को 
खोलने पर ?

कंधे पर, 
थोड़ा सा
खुद को टिकाकर,
वो बोला-

देखो ये दीवार...
कितनी बड़ी है,
लेकिन...
एक भी 
दूब का तिनका 
नहीं उग पाता 
इस पर...
कितनी 
विषाक्तता है,
साँसों में,
भीतर इन 
कोरी दीवारों के.....

कुछ देर, 
वो मौन रहा....
और सांसे जुटाकर  
पुनः बोल उठा- 

सरु चलो ना,
लौट चलते है,
वहाँ को,
जहां से आरंभ हुए...
चलो ना,
लौट चलते है,
अपने पहाड़ की ओर....

-शालिनी पाण्डेय

हिमालय हूँ मैं

चीड़, ओक, देवदार की खुशबू लिए
कर रहा सुगंधित श्वासों को,
बुरांश, ब्रह्मकमल के फूल खिला
महका रहा घर-आंगन को,

मोनाल, ट्रैगोपान की चहक से
रोज सवेरे जगा रहा तुमको,
किलकारी भड़ल, हिम् तेंदुए की 
पाल रहा तुम्हारे आंचल में,

बन हिमाद्रियों का जन्मदाता 
कर रहा सुसज्जित केशों को,
पंच बद्री, पंचकेदार का रूप लिए
ध्यान और तप का स्थान हूं मैं,

पूनम के शशि सा तेज लिए,
सुशोभित तुम्हारे ललाट पर,
रहूंगा सतत ही मौन खड़ा,
तुम्हारी प्रहरी, हिमालय हूं मैं।

-शालिनी पाण्डेय 

Sunday 17 November 2019

बचपन

बचपन 
चाहे किसी का भी हो
अमीर का
या गरीब का,
वो ख़्वाब देखता है,

उसे 
अनगिनत ख़्वाब
देखने दो,

क्योंकि बचपन
बनाता है
एक सुदृढ़ नींव 
कल्पनों की,

बड़ा होने पर 
जिसपर
खड़ी होती है 
इमारत यथार्त की।

- शालिनी पाण्डेय 


पहाड़ को जाती सड़क

जंगल को 
दो हिस्सों में बांटती
ये सड़क
सीधी 
मेरे पहाड़ को जाती है,

जहां अब भी बसती है
गाड़, गधेरों, बाघ, बण,
कौतिक, ब्या, त्यार
के बारे में सुनाई
मेरी आमा की कहानियां,

जो जीवन पर्यंत 
उन्होंने बटोरी,
मेरे लिए
ताकि सैंंन में रहकर भी
मैं बनी रहूँ पहाड़ी,

और
उनके चले जाने के बाद भी
देख पाऊं उन्हें 
पहाड़ के किसी
डाणे में 
घास काटते हुए।

- शालिनी पाण्डेय 


For those who don't understand pahadi

गाड़: Small seasonal river stream
गधेरा: an abrupt or steep fall
बण: Forest
कौतिक: Fair
ब्या: Marriage
त्यार: Festival
आमा: Grandmother
सैंन: Plain area
डाणा: Low mountain

Saturday 16 November 2019

मां

अपनी संतानों द्वारा उपेक्षित किये जाने पर भी
स्वम् को प्रदत्त कर्तव्यों का निर्वहन माँ नहीं भूलती ।

- शालिनी पाण्डेय 

चुपके से

चुपके से
बिना पैरों के
निशान छोड़े,
रिश्तों की 
इस कोलाहल भरी
दुनिया से
कहीं दूर 
निकल जाने को
जी चाहता है। 

- शालिनी पाण्डेय

Friday 15 November 2019

झरना

थके हारे से दिनों में,
जब नहीं समझ आता,
कि 
प्राण क्यों जीवित हैंं ?

तब,
किनारा पाने की आस में,
उदासियां निचोड़ कर
लिखे रात्रिगीत को सुनाने 
मैं तुम्हारी ओर आती हूं,

लेकिन, 
दरवाज़े के ठीक सामने
ठिठक जाती है चाल,
मौन धारण कर लेते है शब्द.....

और 
गीत को 
अपने भीतर समेटकर,
मैं इस डर से 
लौट आती हूं कि....
कहीं मेरी कलम से निकला 
उदास स्याहियों का ये झरना
देहली लांघ कर, 
तुम्हारे भीतर ना बह निकले।

- शालिनी पाण्डेय

Thursday 14 November 2019

ताउम्र

ताउम्र 
सूरज बन कर मैं
तुम्हारे छितिज पर
उगता रहूंगा
और 
रोशन करता रहूंगा
अंधेरे से कुम्हला रहे
तुम्हारे हिस्सों को।।

- शालिनी पाण्डेय 

Wednesday 13 November 2019

राजा और रानी

हर दिन ये खेले
उल्लास भरे मेले,
मिट्टी का घर बना
जश्न मना लेते है,
कागज़ के पंख लगा 
उड़ लेते है, 

ये सुनते हुए कहानी
भूल जाते है परेशानी 
और
खुद ही बन जाया करते है
राजा और रानी।

बाल दिवस की शुभकामनाएं ।

- शालिनी पाण्डेय

Tuesday 12 November 2019

तुम्हारा श्रृंगार

मैं बहुत कुछ कहना चाहता हूं
कुछ अच्छा लिखना चाहता हूं
तुम्हारे साथ नदी के तीर बैठकर
एक नया सवेरा बुनना चाहता हूं।

पहाड़ की वादियों, झरनों, 
बादलों, पिरुल और बांज को 
एक माला सा पिरोकर
तुम्हारा श्रृंगार करना चाहता हूं।

हिम् आच्छादित शिखर में
चांद और सूरज को परोस
गंगा की लहरों को समेटकर 
तुम्हारा सिरमौर बनना चाहता हूं।

- शालिनी पाण्डेय

Monday 11 November 2019

जंगल के बनाये रास्ते

अनकही बातें,
अधपके सपने,
अधखुले चेहरे,
अनदेखे पड़ाव,
सब सच से मालूम पड़ते है
जंगल के बनाए 
इन रास्तों में चलते हुए।

 - शालिनी पाण्डेय

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...