Tuesday 12 November 2019

तुम्हारा श्रृंगार

मैं बहुत कुछ कहना चाहता हूं
कुछ अच्छा लिखना चाहता हूं
तुम्हारे साथ नदी के तीर बैठकर
एक नया सवेरा बुनना चाहता हूं।

पहाड़ की वादियों, झरनों, 
बादलों, पिरुल और बांज को 
एक माला सा पिरोकर
तुम्हारा श्रृंगार करना चाहता हूं।

हिम् आच्छादित शिखर में
चांद और सूरज को परोस
गंगा की लहरों को समेटकर 
तुम्हारा सिरमौर बनना चाहता हूं।

- शालिनी पाण्डेय

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