मैं बहुत कुछ कहना चाहता हूं
कुछ अच्छा लिखना चाहता हूं
तुम्हारे साथ नदी के तीर बैठकर
एक नया सवेरा बुनना चाहता हूं।
पहाड़ की वादियों, झरनों,
बादलों, पिरुल और बांज को
एक माला सा पिरोकर
तुम्हारा श्रृंगार करना चाहता हूं।
हिम् आच्छादित शिखर में
चांद और सूरज को परोस
गंगा की लहरों को समेटकर
तुम्हारा सिरमौर बनना चाहता हूं।
- शालिनी पाण्डेय
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