Friday 4 January 2019

यादों की याद

तुम्हारा आंचल जब
मुझे बचा लेता था
भयंकर अवसाद से

तुम्हारी गोद जब
मुझे सुस्ताने देती थी
थका देने वाली भागदौड़ से

तुम्हारा पसीना जब
मुझे एहसास नहीं होने देता था
जी को जला देने वाली गर्मी का

तुम थी तो उत्साह था
सफर कुछ आसान था
हर दुःख तुम मुस्कुराते हुए
अपने दामन में छुपा लेती थी

तुम्हारा अपार स्नेह
जिसके बारे में तुम कहती नहीं थी
तुम्हारे वो आँसू
जिन्हें तुम पानी की तरह पी जाती थी
शायद अब समझ आते है
जब तुमसे मैं इतनी दूर हूं।

--शालिनी पाण्डेय

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...