Wednesday 31 July 2019

क्यों ना

क्यों ना
नीरस उदासी वाले पन्नों को
उखाड़ फेंकने के बजाय
एक छन्नी की तरह
जीवन में लगाया जाये
ताकि कुछ एक लोग
थोड़ा और करीब आ पाये,
और कुछ थोड़ा दूर चले जाये।

~ शालिनी पाण्डेय

Sunday 28 July 2019

बहुत डरावना है

बहुत डरावना है
महसूस कर पाना
साँसों की अधीरता

बहुत डरावना है
महसूस कर पाना
जीवन की भंगुरता

बहुत डरावना है
महसूस कर पाना
जीने की विवशता।

~ शालिनी पाण्डेय

Saturday 27 July 2019

रोज थोड़ा

अभी कुछ दिन पहले की बात है
जब समेटा था यार के विश्वास को
तो खो दिया था स्वार्थ को

जब समेट रही थी प्रार्थना की ऊर्जा को
तो खो रही थी काले डर की छाया को

जब बोने जा रही थी प्यार के बीजों को
तो उखाड़ रही थी अहं की जड़ों को

ऐसे ही रोज थोड़ा समेटती हूँ खुद को
और बिखेर देती हूं थोड़े को।

~ शालिनी पाण्डेय

Thursday 25 July 2019

अनजाने अवसाद से

धूल को देखा है कभी
कैसे वो चुपचाप आकर
बैठ जाती है अलमारी
में रखी किताबों के ऊपर
जो कई दिनों से नहीं पढ़ी गई
और हमें जरा भी
भनक नहीं लगती
धूल के किताब में आ जाने की

कई दिनों बाद जब
पढ़ने के लिए हम
उस किताब को टटोलते है
तो नजरों के लिए
मुश्किल सा होता है
धूल की परत को हटाए बिना
किताब को पहचान पाना

देखा कितनी चालाकी से
धूल किताब का हिस्सा
बनने की फिराक में थी,

इस धूल की तरह ही 
कुछ विचार भी होते है
जो दबे पांव आकर
कुछ रोज के लिए
घेर लेते है हमारे मन को
अनजाने, गहरे अवसाद से।

~ शालिनी पाण्डेय

Monday 15 July 2019

देखो

तुमने विरह का संगीत सुना है
अब मिलन का जश्न भी देखो
तुमने मुझे अनाशक्त देखा है
लो अब अब आशक्त भी देखो।

~ शालिनी पाण्डेय

जन्म

विरह जब तक तक था
तो कविताएँ जन्म लेती थी
अब मिलन आया है तो
आकांक्षाएं जन्म ले रही है।

~ शालिनी पाण्डेय

Thursday 11 July 2019

रात भर

टूट टूट कर नींद तेरी यादों से
बिस्तर भरती रही रात भर

धड़कन तेरा नाम
गुनगुनाती रही रात भर

लब एक बोसे को
तड़पते रहे रात भर

बदन तेरे आगोश के
लिए सिमटता रहा रात भर

और साँसे बिछड़न का दर्द
सुनाती रही रात भर।

~ शालिनी पाण्डेय

तेज हवा

तेज हवा सा तू टकराता है
बारिश की बूंद बन छू जाता है
सोये नन्हें बीजों को जगाकर
अंकुरित हो पेड़ बन आता है ।

~ शालिनी पाण्डेय

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...