टूट टूट कर नींद तेरी यादों से
बिस्तर भरती रही रात भर
धड़कन तेरा नाम
गुनगुनाती रही रात भर
लब एक बोसे को
तड़पते रहे रात भर
बदन तेरे आगोश के
लिए सिमटता रहा रात भर
और साँसे बिछड़न का दर्द
सुनाती रही रात भर।
~ शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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