Thursday 11 July 2019

रात भर

टूट टूट कर नींद तेरी यादों से
बिस्तर भरती रही रात भर

धड़कन तेरा नाम
गुनगुनाती रही रात भर

लब एक बोसे को
तड़पते रहे रात भर

बदन तेरे आगोश के
लिए सिमटता रहा रात भर

और साँसे बिछड़न का दर्द
सुनाती रही रात भर।

~ शालिनी पाण्डेय

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