Sunday 23 June 2019

अंधेरे में

अंधेरे में ख़्वाब बुनती हूं,
विरह का संगीत सुनती हूं,
यादों के टुकड़े परोसती हूं,
दर्द के पलों को चुनती हूँ,
अपनी रूह को बिछाती हूं
तेरे अहसास को ओढ़ती हूं,
तुझसे जुदा होने पर मैं
ऐसे ही तुझे साकारती हूं।
~ शालिनी पाण्डेय

तब और आज

हम छोड़ आये
निर्बाध बहती नदियां
आकाश चूमते पहाड़
हरे भरे चीड़ और देवदार

कर आये पलायन
आँगन में बहती ठंडी बयार से,
लकड़ी और पत्थर के घरों से ,
छत पर टहलते सफेद बादलों से,
जमीन के गर्भ से निकले धारों से,
मडुवे और कौणी वाले अनाज से,
हिसालू, किलमोडा, काफल से,

और 
अब हम रहते है
ईट के तपते भट्टों के भीतर
ज़हरीले धुएं के बीच
पीते है बिसलरी का पानी
खाते है डोमिनोज़ का पिज़्ज़ा
और बातें करते है पेड़ लगाने की,
पर्यावरण को बचाने की।
~ शालिनी पाण्डेय

Saturday 22 June 2019

मैं चाहती हूं

मैं चाहती हूं
कि तेरी डायरी हो जाऊं
जिसपे तू अनकही बातें लिख पाए

मैं चाहती हूं कि
चाय का प्याला हो जाऊं
जिसे हर रोज तू अपने लबों से लगाए

मैं चाहती हूं कि
तेरे बिस्तर की चादर हो जाऊं
जिस पर हर शाम तू अपनी थकन मिटाए

मैं चाहती हूं कि
एक सपना बन जाऊं
जिसमें तू मेरे सीने से लग पाए

मैं चाहती हूं कि
प्रेम की कविता हो जाऊं
जिसमें तेरी रूह अंततः मिल जाए।

~ शालिनी पाण्डेय

Friday 21 June 2019

तेरे होने ने

जब तू नहीं था
तो जीवन रूखा था
ना कविताएँ थी
ना गीत थे
ना सावन था
ना रंग थे

तेरे होने ने मुझे
रूखे जीवन की छाती में
बीज उगाने का हौसला दिया

तेरे होने ने मुझे
कविताओं के अर्थ दिये
गीतों को भाव दिए

तेरे होने ने मुझे
जिस्म के भीतर की
रूह से मिलवाया

तेरे होने ने मुझे
प्यार का अहसास दिया
जीवन की प्रेरणा दी

तेरे होने ने मुझे
सतही परतों को उखाड़ कर
गहराई में उतरने दिया

तेरे होने ने मुझे
अहसास दिया मेरे होने का
मुझमें ही खुदा के होने का ।

~ शालिनी पाण्डेय

Thursday 20 June 2019

प्यार का पन्ना

जीवन का ये पन्ना जितना कोरा है
उतने ही रंग भी लिए हुए है

एक ओर विरह की खाई
दूजी ओर मिलन का शिखर लिए हुए है

प्रियतम के मिलने की खुशी के साथ
खुद की बेनकाबी का डर भी लिए हुए है

प्यार जीवन का वो पन्ना है
जो खूबसूरत और खतरनाक साथ में है ।

~ शालिनी पाण्डेय

Tuesday 18 June 2019

बारिश

देखो आज सारा दिन
टप-टप करती
संगीत बजाती हुई
बारिश गिरती रही
और साथ में
तुम्हारी यादों को
घोल - घोल
मेरे आँगन में
जमा करती रही ।

~ शालिनी पाण्डेय

Sunday 16 June 2019

जुड़ा हुआ

क्या तूने सोचा कभी
कि ये तेरी और मेरी बातें
कभी ख़त्म क्यों नहीं होती ?

मुझे लगता है
कि ये बातें
भर रही होती है
हमारे बीच की दूरियों को
लफ़्ज़ों से
और
बना रही होती है
एक पुल
फासलों को बांधकर

ताकि दूर होने पर भी
हम जुड़ा हुआ महसूस करें।

~ शालिनी पाण्डेय

दूरियां

जब अंदाज़ा ना था
करीबियों का
तो ये दूरियां भी
खलती ना थी

लेकिन उस रोज से
जब तू गले लगाकर
बोसा देकर चला गया
तो ये दूरियां खलने लगी।

~ शालिनी पाण्डेय

Saturday 15 June 2019

जोड़ते हुए

कभी मकान जोड़ते
कभी दुकान जोड़ते
कभी दहेज जोड़ते हुए,

अनेक पिताओं की
उम्र यूँ ही बीत जाती है
मेहनत में शरीर तोड़ते हुए।

~ शालिनी पाण्डेय

Friday 14 June 2019

पर तुम तो

हाँ, हाँ मुझे अब
कोई डर नही हैं
तुम्हें खोने का,

खोया उसे जाता है
जो हमसे पृथक हो,

पर तुम तो
मेरे भीतर की चेतन
साँसों जैसे हो,

तुम्हें तो उसी दिन
खोना होगा जब
मैं खुद को ही खो दूंगी।

~ शालिनी पाण्डेय

जीने का तरीका

अगर केवल यथार्थ में जीना ही
जीने का सर्वोत्तम तरीका होता तो
क्यूँ मौत के करीब आता हर व्यक्ति
जीना चाहता है बचपन के किस्सों में
आखिर बचपन तो जीवन का
सबसे यथार्थवादी पड़ाव नहीं !!

~ शालिनी पाण्डेय

Wednesday 12 June 2019

जीवन

निश्चय ही तुम टकराना चट्टानों से
और काट लेना उन्हें अपने वेग से।
बहा ले जाना इस वेग में अवसादों को
और धीमे होकर किसी मोड़ पर छोड़ जाना।

जो कोई भी साथ चले
लिए उसे तुम, बढ़ते जाना, बढ़ते जाना।
जीवन, तुम भी धारा जैसे
अविरत बहते जाना, बहते जाना।।

~ शालिनी पाण्डेय

प्लेटफॉर्म

रेल के प्लेटफॉर्म पर
जहाँ यात्रियों को लिए
ट्रेन कुछ देर रुकती है

इस प्लेटफॉर्म पर
बहुत शोर होता है
यात्रियों की बातों का शोर
विक्रेता के चिल्लाने का शोर
ट्रैन के हॉर्न का शोर

लेकिन फिर भी
इस शोर से अनभिज्ञ
कुछ बच्चें सो जाते है
बिना शिकायत किये
प्लेटफ़ॉर्म की खाली जगह पर
बिना रुई वाले गद्दे के ही।

~ शालिनी पाण्डेय

इंतजार

लंबे इंतजार के बाद आना,
वो आना चाहे बरसात का हो
या महबूब का
बहुत ही सुखदाई होता है ।

~ शालिनी पाण्डेय

Monday 10 June 2019

प्यार

प्यार जब छू लेगा तुम्हारे अन्तर्मन को
तो वो पवित्र कर देगा हर एक कोने को
तब मन ही बन जायेगा मंदिर
फिर ना गंगाजल लाने हरिद्वार जाना होगा
ना ही ईश्वर दर्शन को देवालय में ।

~ शालिनी पाण्डेय

गहन अनुभूति

प्यार की एक झलक को
महसूस कर पाना
प्यार बनकर तुम्हारा
मेरे जीवन में आना
मेरे जीवन की अब तक की
सबसे गहन अनुभूति है।

~ शालिनी पाण्डेय

Sunday 9 June 2019

फिक्र

मालूम है मुझे कि
फिक्र तुम्हें भी रहती है
मेरे हाल की
बस तुम्हें जताना नही आता।

~ शालिनी पाण्डेय

Irony of dreams

I sometime want
to be perfect
in this imperfect life.

I sometime want
to be complete
in this incomplete life.

I sometime want
to be immortal
in this mortal life.

See it's all I have
a series of 
Irony of dreams for life.

-~ Shalini Pandey

चले जाओ

तुम चले जाओ
जहां भी तुम जाना चाहो
मैं नहीं रोकूँगी तुम्हें।

सोचती हूँ तुम्हें रोक कर भी क्या करूँगी,
और जब मैं खुद ही रुकना नहीं चाहती
तो तुम्हें किस हक़ से रोक लूँ ?

~ शालिनी पाण्डेय

मौन

मौन जो टूटता है
भोर की किलकारियों से
फिर लौट आता है
सांझ के ढलते ही।

~ शालिनी पाण्डेय

यूँ भी

कई बार यूँ भी हुआ
कि उम्र बीत जाती है
यहाँ इंसान की
क्षणिक भंगुर जीवन को
जी पाने के प्रयास में।

~ शालिनी पाण्डेय

Saturday 8 June 2019

सदा

जब मैं नहीं रहूंगी
तब भी तुम रहोगे सदा
मेरी कविता के अल्फ़ाज़ों में
मेरी कविता के जज्बातों में।

~ शालिनी पाण्डेय

भोर

भोर के वक़्त तुम्हारी याद
रहती है मेरी अधखुली आँखों में
जो तलाशती है तुझे मुझमें ही कहीं।

~ शालिनी पाण्डेय

अतीत का पन्ना

फटे-पुराने लिबास को बदल लेने पर
अक़्सर इंसान को ग़लतफ़हमी हो जाती है,
कि भद्दा सा दिखने वाला अतीत का पन्ना
अब उसके जीवन में नहीं रहेगा ।

~ शालिनी पाण्डेय

Friday 7 June 2019

नौकरी

नौकरी देखो तो
तुम्हारा कद
कितना बड़ा हो गया है,

तुम्हारी ख़ातिर हमने
बिना आँसू बहाये
अपनी नदियों, पहाड़ों और
घरों से पलायन कर लिया ।

~ शालिनी पाण्डेय

बातें

बातें भी कितनी अजीब होती हैं
कभी ना होते हुए भी बन जाती हैं
और कभी होते हुए भी नहीं समझी जाती हैं।

~ शालिनी पाण्डेय

आजकल की शिकायत

आजकल हर किसी को
दूसरों से शिकायत है
कि कोई उन्हें नहीं समझता

उन्हें कोई ये बताये कि
मुश्किल होता है
सिर्फ चेहरा देख कर
शख़्सियत का अंदाजा लगाना

समझने और समझाने के लिए
चेहरे की परतों को पार कर
अंतरतम की गहराई में जाकर
व्यक्ति के ईमान को ढूढ़ना होता है ।

- शालिनी पाण्डेय

अपना आशियाँ

गौरैया जैसे हम भी बुनेंगे
अपना आशियाँ एक रोज़
किसी पहाड़ी पर
देवदार के ऊंचे पेड़ पर
बादलों के बीच
और बातें किया करेंगे
आसमा से ज़मी पे रहकर।

~ शालिनी पाण्डेय

तुम्हारी ओर

जब मैं चल रही होती हूं सड़क पर
हवा को काटते हुए
मुझे लगता है जैसे मैं तुम्हारी ओर
ही आ रही हूं दूरियों को मिटाते हुए।

~ शालिनी पाण्डेय

Tuesday 4 June 2019

इस जीवन में

बिखरे से इस जीवन में
प्यार मुझे समेटे हुए है
मेरे जिस्म के भीतर
मेरी रूह के अंदर।

- शालिनी पाण्डेय

Monday 3 June 2019

गहरा

तुम्हारे पर्वत हो जाने पर
मेरा घाटी हो जाना स्वाभाविक है,
क्योंकि तुम्हें ऊंचा उठाने के लिए
मेरा गहरा जाना भी तो जरूरी है।

- शालिनी पाण्डेय

Sunday 2 June 2019

जीवन की धूप

जीवन की धूप में जलकर
मन उजाड़ सा हो गया है
हे पर्वत, तुम मुझे
अपनी छांव में ले लो
और मेरे अंतर्मन को
पुनः हरा कर दो।

- शालिनी पाण्डेय

वक़्त की चाल

वक़्त की चाल
कुछ टेड़ी सी होती है,
जैसे ही कदम मिलाने
की कोशिश करो,
ये तुम्हें उलझाकर
फ़िर आगे निकल जाती है।

- शालिनी पाण्डेय

जब कभी

माना धूप जैसे मैं कभी
उड़ा ले जाती हूँ तुम्हारे रंगों को
लेक़िन
फ़िर मैं आती भी तो हूँ बसंत बन
उन रंगों को नया कर तुम्हें लौटाने।

~ शालिनी पाण्डेय

Saturday 1 June 2019

हिमालय की घाटी

हिमालय की घाटी
तुम माँ जैसे
फिर मुझे
अपने गर्भ में रख लो
और नौ माह बाद
अपनी तलहटी में ही
किसी नदी के रूप में
पुनर्जन्म दे दो ।

- शालिनी पाण्डेय

हिमालय की अछूती खूबसूरती: पंचाचूली बेस कैंप ट्रैक

राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...