फटे-पुराने लिबास को बदल लेने पर
अक़्सर इंसान को ग़लतफ़हमी हो जाती है,
कि भद्दा सा दिखने वाला अतीत का पन्ना
अब उसके जीवन में नहीं रहेगा ।
~ शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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