अगर केवल यथार्थ में जीना ही
जीने का सर्वोत्तम तरीका होता तो
क्यूँ मौत के करीब आता हर व्यक्ति
जीना चाहता है बचपन के किस्सों में
आखिर बचपन तो जीवन का
सबसे यथार्थवादी पड़ाव नहीं !!
~ शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
No comments:
Post a Comment