Sunday 2 June 2019

जीवन की धूप

जीवन की धूप में जलकर
मन उजाड़ सा हो गया है
हे पर्वत, तुम मुझे
अपनी छांव में ले लो
और मेरे अंतर्मन को
पुनः हरा कर दो।

- शालिनी पाण्डेय

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