Saturday 22 June 2019

मैं चाहती हूं

मैं चाहती हूं
कि तेरी डायरी हो जाऊं
जिसपे तू अनकही बातें लिख पाए

मैं चाहती हूं कि
चाय का प्याला हो जाऊं
जिसे हर रोज तू अपने लबों से लगाए

मैं चाहती हूं कि
तेरे बिस्तर की चादर हो जाऊं
जिस पर हर शाम तू अपनी थकन मिटाए

मैं चाहती हूं कि
एक सपना बन जाऊं
जिसमें तू मेरे सीने से लग पाए

मैं चाहती हूं कि
प्रेम की कविता हो जाऊं
जिसमें तेरी रूह अंततः मिल जाए।

~ शालिनी पाण्डेय

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