Sunday 9 June 2019

चले जाओ

तुम चले जाओ
जहां भी तुम जाना चाहो
मैं नहीं रोकूँगी तुम्हें।

सोचती हूँ तुम्हें रोक कर भी क्या करूँगी,
और जब मैं खुद ही रुकना नहीं चाहती
तो तुम्हें किस हक़ से रोक लूँ ?

~ शालिनी पाण्डेय

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