भोर के वक़्त तुम्हारी याद
रहती है मेरी अधखुली आँखों में
जो तलाशती है तुझे मुझमें ही कहीं।
~ शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
No comments:
Post a Comment