तुम आओगे
किसी रोज
सच में
वैसे ही
जैसे ख्वाबों
में आते हो।
कुछ रोज
मैं सिर्फ
तुम्हारे साथ में
जीना चाहती हूं
और
बाँटना चाहती हूं
मेरे कुछ हिस्से को
तुम से उसी रोज
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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