तुम्हारे साथ गुज़ारे गए
खामोशी के चंद लम्हें
ना जाने क्यूं
दुनिया जहान की आवाज
में बिताये सैकड़ों लम्हों से
कई गुना खूबसूरत और
समझ देने वाले है।
- शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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