हवा का एक झोंका
डाली से जो टकराया
तो जमीन पे गिरे
सूखे हुए पत्ते पेड़ से
ऐसे ही
यादों का झोंका
जब टकराता है मुझसे
तो गिरती है भारी हो चुकी
सांसें मेरे चित्त से।
-शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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