Thursday 12 March 2020

बैठकी होली

सर्द मौसम में
गुनगुनाहट भरती
होल्यारों की बैठकी
जो हारमोनियम, तबले पर 
लय साधते गाती है 
पीड़ी दर पीढ़ी
आत्मसात किये 
होली के गीत....

ये संजोए हुए है
वर्षों से पुरानी परंपरा को,
जिसकी नींव डाली
रामपुर के उस्ताद अमानुल्लाह 
और आगे बढ़ाया
गणिका रामप्यारी ने...

आगमन पर बसंत के
होल्यार गाते
राधा कृष्ण की होली,
शिवरात्रि के बाद
गायी जाती शंभु की होली,
और आखिरी दिनों में 
गायी जाती 
रंगों की होली...

होली के ये गीत 
गूँथे रहते है 
अवधी, बृज, मगधी, 
भोजपुरी के शब्द
स्थानीय लोगों की 
संस्कृति के साथ...
सूर, मीरा, कबीर से लेकर
भक्ति, प्रेम 
और प्रकृति का 
वर्णन करते हुए, 
राग धमार से शुरू और 
राग भैरवी पर 
समापन होती है 
कुमाऊं की बैठकी होली ।

- शालिनी पाण्डेय 

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