राहें मोहब्बत की
वो संकरी गली
जो भरी थी
भावों के सैलाब से
इस सैलाब में धीरे से
मैंने कस्ती उतारी
सोचा उसे साथ लेकर
बाहर निकल आऊंगी
पर मुझे कहा खबर थी
कस्ती को बहाने वाले
उस बवंडर की
जो हमारे इंतज़ार में था।
-शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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