Monday 9 April 2018

बवंडर

राहें मोहब्बत की
वो संकरी गली
जो भरी थी
भावों के सैलाब से

इस सैलाब में धीरे से
मैंने कस्ती उतारी
सोचा उसे साथ लेकर
बाहर निकल आऊंगी

पर मुझे कहा खबर थी
कस्ती को बहाने वाले
उस बवंडर की
जो हमारे इंतज़ार में था।

-शालिनी पाण्डेय



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