तुम मेरे जीवन
में आये
कविता की तरह
वही कविता
जो मेरी पसंदीदा थी
शायद इसीलिए
तुम्हें संजो के रख पाना भी
उतना ही मुश्किल था
जितना उस कविता के अर्थ
को यथार्थ पर उतार पाना।
-शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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