Saturday 2 March 2019

चेहरे

आदमियों से
ठसाठस भरी
शहरी दुनिया
हर दिन
नए चेहरे
और
मेरे पहाड़ में
रह गयी हैं
सिर्फ आँखें
बूढ़ी, जर्जर आँखें
जो इंतज़ार में है
पुराने चेहरों के
लौट आने के।

-शालिनी पाण्डेय

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