आदमियों से
ठसाठस भरी
शहरी दुनिया
हर दिन
नए चेहरे
और
मेरे पहाड़ में
रह गयी हैं
सिर्फ आँखें
बूढ़ी, जर्जर आँखें
जो इंतज़ार में है
पुराने चेहरों के
लौट आने के।
-शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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