हर रात को
राख की तरह
पूरी जल कर
सो जाती हूँ
सुबह उस राख
के बीचों बीच
एक अंकुर निकलता है
आने वाले दिन के लिए
जो रात तक
फिर से जल कर
राख हो जाता है।
~ शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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