Friday 2 August 2019

राख

हर रात को
राख की तरह
पूरी जल कर
सो जाती हूँ

सुबह उस राख
के बीचों बीच
एक अंकुर निकलता है
आने वाले दिन के लिए

जो रात तक
फिर से जल कर
राख हो जाता है।

~ शालिनी पाण्डेय

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