वो बेबाक बातों सी
कल्पना वाली दुनिया
जब कम थे पैसे
ज्यादा थी खुशियां
मासूमियत लिए
दिल होते थे जब पाक
वादों के बिना भी
बन जाता था विश्वास
नन्ही सी अपनी दुनिया
लगती थी तब काफी
क्योंकि तब पास होते थे
बचपन के सच्चे साथी
~ शालिनी पाण्डेय
राहुल सांकृत्यायन मानते थे कि घुमक्कड़ी मानव-मन की मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ अपने क्षितिज विस्तार का भी साधन है। उन्होंने कहा भी था कि-...
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