Saturday 17 August 2019

बचपन के साथी

वो बेबाक बातों सी
कल्पना वाली दुनिया

जब कम थे पैसे
ज्यादा थी खुशियां

मासूमियत लिए
दिल होते थे जब पाक

वादों के बिना भी
बन जाता था विश्वास

नन्ही सी अपनी दुनिया
लगती थी तब काफी

क्योंकि तब पास होते थे
बचपन के सच्चे साथी

~ शालिनी पाण्डेय

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