Sunday 11 March 2018

मेरे भीतर

अधरों को करीब लाकर
प्यासा छोड़ गए हो,
मन के आंगन में दस्तक दे
तन्हा छोड़ गए हो,
तुम अपना एक हिस्सा
मेरे भीतर घोल गए हो,
ये किस नारीत्व को
मेरे भीतर खोल गए हो ??

- शालिनी पाण्डेय

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