Tuesday 6 March 2018

यादों का गुलदस्ता

जा रही हूं मैं यादों का गुलदस्ता लिए,
लंबे इंतजार के बाद हुई मुलाकात लिए।

तुझे छू कर निकले वक़्त का स्पर्श लिए,
तेरे लबों पे आई दबी सी मुस्कान लिए,

तेरे साथ खामोशी में बिताये हुए पल लिए,
बीच के सन्नाटे को तोड़ती सर्द हवा लिए,

तेरे चेहरे पे दिखे भावों की छाप लिए,
कुछ अनकही बातों की गुंजाइश लिए,

तेरी साँसों से गर्माहट लिए,
तेरी धड़कन की सुगबुगाहट लिए,

तेरे दीदार से जन्मी हलचल लिए,
तेरी करीबी से बढ़ती तन्हाई लिए,

जा रही हूं मैं यादों का गुलदस्ता लिए।

-शालिनी पाण्डेय

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