यूं तो मुझे मालूम है
कि फ़ासले है और रहेंगें,
पर कभी ये फ़ासले
तनहाइयों को इतना गहरा जाते है
कि मन डूब सा जाता है ।
तुम कहो तो
इन फ़ासलों को बांधकर
एक पुल बना कर
तुम्हारे पास आ जाऊं,
और कांधे में सिर टिकाए,
आंखे मूंद बैठी रहूं अडोल।
-शालिनी पाण्डेय
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