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Showing posts from September, 2025

दीवार में एक खिड़की रहती थी- पुस्तक समीक्षा

‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ विनोद कुमार शुक्ल जी का लिखा हुआ एक उपन्यास है। इस उपन्यास को वर्ष 1999 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। शुक्ल जी द्वारा लिखित, मेरे द्वारा पढ़ा गया यह पहला उपन्यास है। यह उपन्यास लंबे समय से मेरी पठन सूची में था, लेकिन इसे पढ़ना उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त होने के बाद ही संभव हो पाया। यह उपन्यास काफी संक्षिप्त है, केवल 250 पन्नों का। यह उपन्यास अपने नाम की तरह ही अनोखा है। इसे पढ़ते हुए लगता है जैसे हम किसी ठहरे हुए, धीमे-धीमे खुलते जीवन के भीतर प्रवेश करते जा रहे हों। उपन्यास की कहानी एक निम्न मध्यम वर्ग के साधारण किरदार रघुवर प्रसाद (गणित के प्राध्यापक) और सोनसी से संबंधित है, जो अपने एक छोटे-से कमरे में रहते हुए, रोज़मर्रा की दिक़्क़तों के बीच अपने सपनों और भावनाओं के लिए जगह तलाशते हैं। उपन्यास में दीवार और खिड़की केवल ईंट-पत्थर की चीज़ें ना हो कर, एक प्रतीक हैं। दीवार प्रतीक है - स्थिरता, बंधन और रोज़मर्रा के जीवन का, जबकि खिड़की प्रतीक प्रत्येक है- संभावना, उम्मीद और खूबसूरती का। दीवार में रह रही यह खिड़की हमारे जीवन का खु...