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Showing posts from February, 2017

तेरा साथ

आज फिर सांझ ढले तेरी याद आयी याद किये मैंने तेरे संग बिताये वो लम्हे हमारी वो पहली मुलाकात जब सर्दी की एक शाम को हम मिले दो अजनबियों की तरह अनेक दुविधाओं के साथ वो दूर तक फैल...

वो रिश्ता

ना जाने क्या रिश्ता है जो दूर होकर भी दिल के करीब लगता है समझ नही आता इसे क्या नाम दूँ इश्क़, मोह्हबत या रूह का रिश्ता ना एक पल के लिए वो मेरी नजरों से ओझल होता है, ना ही तेज हवाएं ...