आज फिर सांझ ढले तेरी याद आयी याद किये मैंने तेरे संग बिताये वो लम्हे हमारी वो पहली मुलाकात जब सर्दी की एक शाम को हम मिले दो अजनबियों की तरह अनेक दुविधाओं के साथ वो दूर तक फैल...
ना जाने क्या रिश्ता है जो दूर होकर भी दिल के करीब लगता है समझ नही आता इसे क्या नाम दूँ इश्क़, मोह्हबत या रूह का रिश्ता ना एक पल के लिए वो मेरी नजरों से ओझल होता है, ना ही तेज हवाएं ...