आज फिर सांझ ढले तेरी याद आयी
याद किये मैंने तेरे संग बिताये वो लम्हे
हमारी वो पहली मुलाकात
जब सर्दी की एक शाम को हम मिले
दो अजनबियों की तरह
अनेक दुविधाओं के साथ
वो दूर तक फैली लंबी सड़क पर
कुछ पल हम साथ चले।
शायद कुछ बातें भी की होंगी
एक दूसरे को जानने के लिए
इस मुलाकात के बाद शायद
एक सिलसिला सा शुरू हुआ
एक नए रिश्ते का
कभी फ़ोन पर
कभी मैसेज पर
कभी कभी कैंटीन मे
कभी गलियों पर मुलाकात के सहारे
ये रिश्ता चलता रहा
फिर रास्ते अलग हो गए
हम यहाँ तुम वहाँ
जब एक राह पर थे
तो एक दूसरे से अंजान थे
आज राहे अलग है तो
जी चाहता है कि कुछ पल साथ चले।
-शालिनी पाण्डेय
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