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Showing posts from July, 2020

नाराज़

मैं हजार कोशिशें  कर भी लूं अगर तुम्हें भुलाने की, एक बार को कह भी दूँ कि तुमसे नाराज़ हूं लेकिन सच तो ये ही है कि ना तुमसे  नाराज़ रहा जा सकता है ना भुलाया ही  जा सकता है। -शालिनी पाण्डेय 

सारी उम्र

टपकती बरसात अच्छी किताब फ़ैज़ की नज़्म और तुम्हारे साथ मैं अपनी सारी उम्र गुज़ार सकती हूं। - शालिनी पाण्डेय 

बारिश और गिले शिकवे

एक अंतराल के बाद किसी अपने के गले मिलने से मन पर इकठ्ठा हो रहे गिले-शिक़वे वैसे ही  दूर हो जाते है जैसे लंबे इतंजार के बाद आई बारिश से छतों पर जमा  धूल और मिट्टी..... - शालिनी पाण्डेय 

तमाशा

तुम्हें समझना मुश्किल है, पर तुम्हें सुलझाना  और भी मुश्किल है जैसे ही लगता है  समझ आ रही हो नए चौराहों  पर लाकर छोड़ देती हो पर अब सूरतों के बाज़ार से दूर सिर्फ अपने साथ  रहते हुए लगने लगा है थोड़ा लंबा ही सही  पर आखिर में तुम एक तमाशा ही तो हो  जिंदगी... - शालिनी पाण्डेय