सर्द शाम की वो मुलाक़ात जब धुंध की गहरी परत फैली हुई थी, हम दोनों के बीच.... उसी रोज, मैंने, जी जा सकने वाली अनगिनत संभावनाओं को समेट लिया था हमारे प्यार के भीतर.... - शालिनी पाण्डेय
शब्द मेरी भावनाओं के चोले में
शब्द मेरी भावनाओं के चोले में