तेरे बदन की ओस से भीगी हुई साँसें, जो रेत के कणों को जोड़कर, मेरी शक़्ल को मूर्त बनाती है.... नदी के छोर सी तेरी बाहें, जो इच्छाओं को स्वछंद बहाती हुई, मुझे बचाये रखती है बिफरने से..... और हर वक़्त साथ चलता, तेरी खुशबू से महकता ये आशियाँ, जीवन को अहसास देता है कि तू एक सलीका है, जिंदगी जीने का..... - शालिनी पाण्डेय
शब्द मेरी भावनाओं के चोले में