Skip to main content

Posts

Showing posts from February, 2020

प्रेमिकाएं

सभी प्रेमिकाएं   नहीं चाहती  घर और गाड़ियां , सभी प्रेमिकाएं  नहीं करती  हर वक़्त श्रृंगार , सभी प्रेमिकाएं  नहीं मांगती  आठों पहर प्रेमी का  ध्यान , सभी प्रेमिकाएं  नहीं रखती  प्रेम में वक़्त का हिसाब , कुछ प्रेमिकाएं ताउम्र  मन में जगाये रहती है   प्यार की लौ  और उन्हें चाहिए होते है  बस, मौन के कुछ क्षण  अपने प्रेमी के साथ।   - शालिनी पाण्डेय 

मैं धूप हूँ

मैं धूप हूँ और अँधेरे तुम हो मेरे सच्चे प्रेमी , तुम कहाँ कभी मुझसे जुदा होते हो !! साँझ के ढलते ही तुम मुझे आलिंगन करते हो और माथा चूम कर समेट लेते हो अपने भीतर और फिर भोर के होते ही धूप जैसे मुझे बिखेर देते हो और खुद सिमट आते हो मेरे भीतर। - शालिनी  पाण्डेय

पहाड़ से विदाई

निस्वास के साथ  विदा ले तो ली  पहाड़ से लेकिन , आखिरी सांस तक आमा ने सिर्फ पहाड़ को जिया , उन्होंने आँगन में समेटे रखा  सफेद डानों को, भकार को भरे  रखा दादा की यादों से और फौले में छलकने दिया नौले का पानी।  सफ़ेद साड़ी में उन्होंने बटोरे  बुरांस के बूटे, बरसात में पार  की  पनार की गाढ़ और  साँझ के उद्देख  में जगाया थान में दीपक। हर रोज   उनकी आंखों में पहाड़ चमकता था और यहीं भाभर में उनकी डबडबाई आंखों में , मैंने पहली बार देखा था पहाड़ को। - शालिनी  पाण्डेय  निस्वास: departing with memories  आमा: grandmother डानोंः hills भकार: storage bin for grains फौलाः pot made of copper used for fetching water नौलाः freshwater source in hills गाड़: seasonal stream थानः temple of local deity उद्देख: With heavy heart