निस्वास के साथ
विदा ले तो ली
पहाड़ से
लेकिन ,
आखिरी सांस तकलेकिन ,
आमा ने सिर्फ
पहाड़ को जिया ,
यादों से और
फौले में
छलकने दिया
नौले का पानी।
सफ़ेद साड़ी में
उन्होंने आँगन में
समेटे रखा
समेटे रखा
सफेद डानों को,
भकार को भरे
रखा दादा कीयादों से और
फौले में
छलकने दिया
नौले का पानी।
उन्होंने बटोरे
बुरांस के बूटे,
बरसात में
पार की
पनार की गाढ़
और
साँझ के उद्देख में
जगाया
थान में दीपक।
जगाया
थान में दीपक।
हर रोज
उनकी आंखों में
पहाड़ चमकता था
और यहीं
भाभर में
पहाड़ चमकता था
और यहीं
भाभर में
उनकी डबडबाई
आंखों में ,
मैंने पहली बार
देखा था
पहाड़ को।
- शालिनी पाण्डेय
आंखों में ,
मैंने पहली बार
देखा था
पहाड़ को।
- शालिनी पाण्डेय
निस्वास: departing with memories
आमा: grandmother
डानोंः hills
भकार: storage bin for grains
फौलाः pot made of copper used for fetching water
नौलाः freshwater source in hills
गाड़: seasonal streamथानः temple of local deity
उद्देख: With heavy heart
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