तेरी खुशबू की छांव में,
कुछ देर खोये रहने दे।
पन्नों को पलटते हुए,
अहसास को साज देने दे।
निकलते मधुर संगीत को,
अंतर्मन तक छू लेने दे।
इन रंगों से उभरते चित्र से,
तेरा एक रूप बुन लेने दे।
हकीकतों से परे ही सही
तुझे जी भर देख तो लेने दे।
घड़ी की टिक टिक में
धड़कनों को मिल लेने दे।
सरसराती हवाओं में
तुझे ओढ़ लेने दे।
कलम से निकली नज़्म को
तेरे नाम कर लेने दे।
और अडोल से इस समय में
तुझे मेरे पास ही रहने दे।
-शालिनी पाण्डेय
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